शेख हसीना पर मानवता विरोधी अपराधों को लेकर इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में मुकदमा, हो सकती है फांसी; भारत में ले रहीं शरण, बांग्लादेश ने प्रत्यर्पण की मांग की
1 जून 2025, नई दिल्ली
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) में अभियोजन पक्ष ने रविवार को उनके खिलाफ आधिकारिक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें जुलाई 2023 में हुए देशव्यापी जन-विद्रोह के दमन में उनकी भूमिका को “अमानवीय” बताया गया है।
अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो शेख हसीना को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है। ट्रिब्यूनल की कार्यवाही को बांग्लादेश के सरकारी टेलीविज़न पर सीधा प्रसारित किया जा रहा है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
पूर्व गृहमंत्री और पुलिस प्रमुख भी कटघरे में
शेख हसीना के साथ-साथ पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक चौधरी मामून को भी इस मामले में सह-आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसियों के अनुसार, इन तीनों ने विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के नाम पर गोलीबारी और कथित जनसंहार को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
12 मई की रिपोर्ट में हसीना को बताया गया ‘मुख्य आदेशदाता’
12 मई को ट्रिब्यूनल को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि हसीना ने देशभर में हिंसक प्रदर्शनों को बलपूर्वक दबाने का आदेश दिया था। रिपोर्ट में उन्हें ‘मुख्य आदेश देने वाली शक्ति’ करार दिया गया है।
इतिहास दोहराने की आशंका, ICT पहले भी सुना चुका है मौत की सजा
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल की स्थापना बांग्लादेश की आज़ादी के बाद युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए की गई थी। इससे पहले जमात-ए-इस्लामी और BNP के कई शीर्ष नेताओं को दोषी ठहराकर फांसी दी जा चुकी है। ऐसे में शेख हसीना का मामला भी उसी श्रेणी में देखा जा रहा है।
यह भी पढ़ें : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संजय राऊत का तंज: भाजपा पर लगाया सांप्रदायिक ध्रुवीकरण फैलाने का आरोप
भारत में शरण में हैं हसीना, प्रत्यर्पण पर अब तक चुप्पी
सत्ता से बेदखल होने के बाद शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार ने भारत से उनके प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है, हालांकि भारत सरकार ने अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भारत और शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश के बीच मजबूत संबंध रहे हैं, लेकिन वर्तमान सरकार के चीन और पाकिस्तान के प्रति बढ़ते झुकाव ने दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति को अस्थिर कर दिया है।
यह भी पढ़ें : 60 वर्षों की वैश्विक उत्कृष्टता: यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक का दिल्ली में भव्य जश्न
