संपूर्ण भारत के लाल ईंट निर्माता ईंटों पर जीएसटी दर न घटाए जाने से नाराज़, करेंगे विरोध प्रदर्शन

अखिल भारतीय ईंट व टाइल निर्माता महासंघ ने सरकार से कर राहत और कम्पोजीशन स्कीम बहाल करने की मांग की

JP Bureau | Published: September 12, 2025 14:44 IST, Updated: September 12, 2025 15:05 IST
संपूर्ण भारत के लाल ईंट निर्माता ईंटों पर जीएसटी दर न घटाए जाने से नाराज़, करेंगे विरोध प्रदर्शन

मनुष्य के जीवन में मुख्य आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अपने लिये व अपने परिवार के लिये सपनों का घर बनाना चाहता है। जिसके लिये आदि काल से लाल ईंट से टिकाऊ और कम लागत में घर बनते चले आये हैं। वर्ष 2017 में जीएसटी काउंसिल द्वारा लाल ईंट निर्माताओं पर लागू कम्पोजीशन स्कीम को मार्च 2022 में समाप्त करके 01% के स्थान पर 06% तथा आईटीसी लेने पर 05% के स्थान पर 12% कर दर लागू कर दी गई।

अखिल भारतीय ईंट व टाइल निर्माता महासंघ ने आज प्रेस वार्ता कर कहा कि ईंट उद्योग पर 12% जीएसटी दर लागू रहने और कोयले पर कर 18% किए जाने से यह उद्योग गहरे संकट में है। महासंघ का कहना है कि जब तक सरकार कर दरों में राहत नहीं देती, तब तक आम नागरिक का अपना घर बनाने का सपना और महंगा होता जाएगा। इसी नाराज़गी के चलते ईंट निर्माता बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।

महासंघ ने बताया कि कम्पोजीशन स्कीम खत्म होने के बाद से ईंट उद्योग लगातार कर दरों में कमी की मांग कर रहा है। लेकिन हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में भी ईंट उद्योग को न तो राहत दी गई और न ही कोई विकल्प सुझाया गया। इसके विपरीत, सीमेंट पर कर दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई, जबकि ईंट निर्माताओं को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री मुरारी कुमार “मन्नू” ने कहा कि ईंट भट्ठा एक ग्रामीण मौसमी उद्योग है, जिसमें हर साल करीब 3 करोड़ से अधिक लोग रोजगार पाते हैं। उन्होंने कहा, “सरकार की उपेक्षा और गलत कर नीतियों से यह उद्योग बंद होने की कगार पर है। यदि कर दरों में तुरंत सुधार नहीं हुआ तो लाखों लोगों का रोजगार और आम नागरिक का अपना घर बनाने का सपना दोनों प्रभावित होंगे।”

महासंघ ने आगे बताया कि ईंट उद्योग ग्रामीण स्तर पर सबसे अधिक रोजगार देने वाला उद्योग है और गांवों में ही काम उपलब्ध कराकर शहरों की ओर पलायन रोकता है। पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर पूरे देश के भट्ठों को ज़िग-ज़ैग तकनीक में बदला गया, जिसमें प्रति भट्ठा लगभग 50 लाख रुपये का निवेश हुआ। इसके बावजूद किसी भी सरकारी एजेंसी से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली। नतीजतन तैयार ईंट की कीमतें बढ़ गई हैं और आम नागरिक पर सीधा बोझ पड़ा है।

महासंघ ने चेतावनी दी कि बढ़े हुए कर का असर प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी सरकारी योजनाओं पर भी पड़ सकता है। यदि दरों में समय रहते कमी नहीं की गई तो मकानों की लागत लगातार बढ़ेगी और सस्ते घर का सपना और दूर होता जाएगा।

महासंघ ने सरकार से यह मांग रखी है कि 1–50 करोड़ रुपये टर्नओवर वाले ईंट निर्माताओं को फिर से कम्पोजीशन स्कीम में शामिल किया जाए। ईंटों पर कर दर 12% से घटाकर 5% की जाए और इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति दी जाए। इसके अलावा 6% और 12% की मौजूदा दरों को समाप्त कर 1% कर दर लागू की जाए।

महासंघ का कहना है कि पिछले 35 वर्षों से ईंट उद्योग टैक्स और कम्पोजीशन स्कीम की व्यवस्था में उपभोक्ताओं पर बोझ डाले बिना चलता रहा है। अब अचानक बढ़ी दरों ने इस उद्योग को घाटे में धकेल दिया है। यह उद्योग वर्ष में केवल चार माह ही चल पा रहा है और यदि सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो इसके पूरी तरह ठप होने की आशंका है।

प्रेम वार्ता में महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमवीर सिंह भाटी, महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री मुरारी कुमार मन्नू, हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष डा० अजीत यादव, हरियाण से राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बृज मोहन गुप्ता, उत्तरांचल से नरेश त्यागी, सतेन्द्र सिंह, खुशीराम गोयल आदि मौजूद रहे।

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