शांति कार्यकर्ता बोले – रूस–यूक्रेन और भारत–पाक तनाव पर ट्रंप के दावे साबित हुए खोखले, नोबेल कमिटी ने सच्चे शांति प्रयासों को दी मान्यता
प्रसिद्ध शांति कार्यकर्ता और मानवतावादी डॉ. के.ए. पॉल ने शनिवार को नोबेल शांति पुरस्कार समिति के निर्णय की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा कि समिति ने इस वर्ष एक वास्तविक और योग्य शांति साधक को सम्मानित कर एक सशक्त उदाहरण पेश किया है, जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्व-प्रचार आधारित दावेदारी को उचित रूप से खारिज किया गया।
डॉ. पॉल ने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया कि वे रूस–यूक्रेन युद्ध और भारत–पाकिस्तान तनाव को समाप्त कर सकते हैं, लेकिन उनके दावे वास्तविकता से कोसों दूर थे। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने बार-बार राजनीतिक लाभ और प्रचार के उद्देश्य से शांति की बात की, जबकि उनके कार्यों ने कई क्षेत्रों में अस्थिरता ही बढ़ाई।
उन्होंने बताया कि नोबेल शांति पुरस्कार का उद्देश्य निस्वार्थ भाव से काम करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करना है, न कि उन लोगों को जो राजनीतिक शोहरत या मीडिया प्रचार के ज़रिए प्रसिद्धि चाहते हैं। डॉ. पॉल ने कहा कि “सच्चे शांति कार्यकर्ता अपने कर्मों से पहचाने जाते हैं, न कि अपने बयानों या प्रचार अभियानों से।”
डॉ. पॉल ने यह भी आरोप लगाया कि ट्रंप ने विश्व नेताओं पर दबाव डालकर समिति को प्रभावित करने की कोशिश की, परंतु समिति ने किसी भी तरह के राजनीतिक प्रभाव को नज़रअंदाज़ करते हुए ईमानदारी और निष्पक्षता से निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि ट्रंप की मध्य-पूर्व नीति और गाजा में सैन्य कार्रवाइयों के समर्थन ने लाखों नागरिकों के जीवन को प्रभावित किया है, जिससे उनकी शांति की छवि पूरी तरह धूमिल हो गई।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उन्हें स्वयं 2003, 2005 और 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन उन्होंने कभी व्यक्तिगत प्रचार या स्वीकृति की होड़ नहीं लगाई। “मेरे लिए शांति का अर्थ पुरस्कार नहीं, बल्कि मानवता के लिए निरंतर सेवा है,” उन्होंने कहा।
अंत में डॉ. पॉल ने कहा कि समिति का यह निर्णय दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा, “नोबेल कमिटी ने यह दिखा दिया है कि सच्ची शांति का सम्मान केवल उन्हीं को मिलता है जो कर्म, करुणा और निस्वार्थ सेवा में विश्वास रखते हैं। मैं समिति की दूरदर्शिता और नैतिक साहस को नमन करता हूं।”