Beijing से Putin का अल्टीमेटम: “बातचीत करो या फिर हथियारों से निपटेंगे”
Beijing से दिए संदेश में Putin बोले, कूटनीति असफल रही तो Russia सैन्य ताकत से लक्ष्य पूरे करेगा, Ukraine ने किया इनकार

Russia के राष्ट्रपति Vladimir Putin ने Beijing दौरे पर कहा कि अगर बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है तो वे तैयार हैं, लेकिन अगर कूटनीति असफल रही तो Russia “हथियारों की ताकत से” अपने लक्ष्य पूरे करेगा। उन्होंने US President Donald Trump की मध्यस्थता की कोशिशों को गंभीर बताया और कहा कि “अभी भी common sense हावी हो तो शांति संभव है।”
शर्तों में कोई बदलाव नहीं
Putin ने अपनी पुरानी शर्तें दोहराईं—
Ukraine को NATO में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़नी होगी।
Russian भाषी लोगों के साथ भेदभाव खत्म करना होगा।
Russia द्वारा कब्ज़ा किए गए चार regions को मान्यता देनी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वे Ukraine President Volodymyr Zelenskyy से मिलने को तैयार हैं, लेकिन यह बैठक सिर्फ Moscow में और तभी होगी जब उसका “ठोस नतीजा” निकलने की संभावना हो।
Ukraine का सख्त जवाब
Kyiv ने इस प्रस्ताव को फौरन खारिज कर दिया। Ukraine के Foreign Minister Andriy Sybiga ने कहा कि Moscow में बैठक की पेशकश “एक धोखा” है और यह सिर्फ प्रतीकात्मक आत्मसमर्पण जैसा होगा। Ukraine ने याद दिलाया कि Austria, Switzerland, Vatican, Turkey और Gulf देशों ने neutral स्थान के रूप में वार्ता की मेज़बानी की पेशकश की है।
सैन्य मोर्चे पर तेज़ हमले
Putin के बयान के दिन ही Russia ने Ukraine पर 500 से ज्यादा drones और दर्जनों missiles दागीं। इन हमलों में energy plants और नागरिक ढांचों को निशाना बनाया गया, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और कई लोग घायल हुए।
Western देशों की कूटनीतिक हलचल
Donald Trump ने कहा कि वे Putin से जल्द बात करेंगे, लेकिन चेतावनी भी दी कि “अगर Russia ने शांति पर सही फैसला नहीं लिया तो नतीजे देखने को मिलेंगे।”
इसी बीच, Volodymyr Zelenskyy Paris में European सहयोगियों से security guarantees पर चर्चा कर रहे हैं। Coalition of the Willing देशों ने संकेत दिया है कि अगर peace agreement हुआ तो वे Ukraine को ठोस सुरक्षा आश्वासन देंगे।
Russia की ओर से बातचीत की पेशकश और साथ ही बड़े पैमाने पर सैन्य हमले यह दिखाते हैं कि कूटनीति और युद्ध—दोनों रास्ते खुले हैं। Ukraine ने Moscow में किसी भी तरह की वार्ता से इनकार कर दिया है और neutral देशों में बातचीत चाहता है। वहीं Western ताकतें अब इस संघर्ष के अंत और युद्ध बाद की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सक्रिय हो गई हैं।
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