‘पंचायत’ की रिंकी बनी लाखों दिलों की पसंद, लेकिन अब भी सम्मान की तलाश में संघर्षरत

By Mansi Sharma | 21/06/2025 | Categories: मनोरंजन
'पंचायत' की रिंकी बनी लाखों दिलों की पसंद, लेकिन अब भी सम्मान की तलाश में संघर्षरत

वेब सीरीज ‘पंचायत’ से मिली पहचान के बाद भी एक्ट्रेस सांविका ने उठाया इंडस्ट्री में बराबरी और इज्जत न मिलने का मुद्दा — सोशल मीडिया पर छलका दर्द

21 जून 2025, नई दिल्ली

लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत’ में रिंकी का किरदार निभाकर घर-घर में पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस सांविका (Sanvikaa) इन दिनों चर्चा में हैं — इस बार अपने किसी किरदार के लिए नहीं, बल्कि इंडस्ट्री में चल रहे भेदभाव और असमानता पर दिए गए अपने जवाबी तेवरों के लिए।

‘पंचायत’ से मिली नई पहचान

सांविका को असली ब्रेक मिला ‘पंचायत सीजन 2’ से, जहां उन्होंने एक सरल, सशक्त और संवेदनशील किरदार ‘रिंकी’ निभाया। दर्शकों ने उन्हें खूब सराहा और उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। अब ‘पंचायत सीजन 3’ में भी उनका अभिनय दर्शकों के दिल को छू गया है। चौथा सीजन 24 जून से अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हो रहा है और फैन्स उनकी भूमिका को लेकर उत्साहित हैं।

सफलता के बाद भी सम्मान की कमी

हाल ही में सांविका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक भावुक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि ‘इंसाइडर’ या प्रभावशाली बैकग्राउंड न होने के कारण उन्हें आज भी संघर्ष करना पड़ता है।
उन्होंने लिखा:

“काश मैं इंसाइडर होती या मेरा कोई पावरफुल बैकग्राउंड होता, तो शायद ज़िंदगी थोड़ी आसान होती। आज भी इज्जत और बराबरी जैसी बुनियादी चीजों के लिए लड़ना पड़ता है… लेकिन मैं अभी भी डटी हुई हूं।”

उनकी इस पोस्ट ने इंडस्ट्री में आउटसाइडर्स के संघर्ष की एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है।

अन्य प्रोजेक्ट्स और आगे की राह

‘पंचायत’ के अलावा सांविका रवि दुबे की वेब सीरीज ‘लखन लीला भार्गव’ में भी नजर आ चुकी हैं, हालांकि उन्हें सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि ‘रिंकी’ के किरदार से ही मिली। ‘पंचायत’ के सीजन 4 को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह है, और माना जा रहा है कि यह सीजन उनके करियर को और नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

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सांविका का संकल्प: दम पर बनेगी पहचान

सांविका की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की नहीं, बल्कि हर उस कलाकार की है जो बिना किसी गॉडफादर या प्रभावशाली पहचान के, अपने टैलेंट और मेहनत के दम पर एक मुकाम हासिल करने की कोशिश कर रहा है। उनका यह स्पष्ट और साहसी स्टैंड बताता है कि वह सिर्फ पर्दे की रिंकी नहीं हैं — असल जिंदगी में भी संघर्ष और आत्मसम्मान की प्रतीक बनकर उभरी हैं।

सांविका का यह सफर हमें याद दिलाता है कि लोकप्रियता मिल सकती है, लेकिन बराबरी की जगह हासिल करना अब भी एक लंबी लड़ाई है। लेकिन वे डटी हैं, और उनकी यह जिद ही उन्हें एक दिन उसी ऊंचाई पर पहुंचाएगी, जिसकी वे हक़दार हैं।

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