पोस्टर एकजुटता में भी बंटी राजनीति: बिहार में मोदी-नीतीश साथ, लेकिन संदेश जुदा

एनडीए की दोहरी प्रचार रणनीति ने खड़े किए सवाल—क्या गठबंधन में भरोसे से ज्यादा व्यक्तिगत एजेंडा हावी है?
5 जुलाई 2025, पटना
बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच एनडीए गठबंधन की पोस्टर पॉलिटिक्स ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां बीजेपी और जेडीयू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साझा तस्वीरों के साथ अपनी एकता दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पोस्टरों की भाषा, मुद्दे और प्राथमिकताएं दोनों दलों के अलग-अलग एजेंडे को उजागर कर रही हैं।
बीजेपी की रणनीति प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और डबल इंजन सरकार के वादों पर केंद्रित है। उनके पोस्टरों में नारा है—“सोच दमदार, काम असरदार, फिर से एनडीए सरकार”। वहीं जेडीयू की प्रचार सामग्री महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है, जिसमें नारा दिया गया है—“महिलाओं की जय-जयकार, फिर से एनडीए सरकार”।
हालांकि दोनों दलों के पोस्टरों में मोदी और नीतीश एक साथ दिखाई दे रहे हैं, लेकिन चुनाव चिह्नों में अंतर साफ तौर पर दिखता है। बीजेपी के पोस्टर में ‘कमल’ है तो जेडीयू के पोस्टर में ‘तीर’—यह इस बात का संकेत है कि दोनों दल संयुक्त मोर्चे के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक ज़मीन भी बचाए रखना चाहते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दोहरी रणनीति मतदाताओं को मिश्रित संकेत दे सकती है। जेडीयू जहां नीतीश कुमार की छवि और सामाजिक समीकरणों पर केंद्रित है, वहीं बीजेपी का पूरा फोकस मोदी ब्रांड और केंद्रीय योजनाओं पर है। विशेषज्ञ इसे एक “गठबंधन की एकजुटता से ज्यादा, आत्मरक्षा की राजनीतिक चाल” मानते हैं।
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इस बीच जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी भी चर्चा में है। उन्होंने दावा किया है कि जेडीयू को आगामी विधानसभा चुनाव में 25 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के पोस्टर उनकी इस भविष्यवाणी के इशारों को बल देते नजर आते हैं, जबकि जेडीयू अपने पोस्टर के ज़रिए इसे चुनौती दे रही है।
साफ है, एनडीए एक मंच पर है, लेकिन सुर अलग-अलग हैं। दोनों दलों की रणनीति साझा जीत की कोशिश ज़रूर दिखाती है, लेकिन उस राह पर चलने का तरीका बिल्कुल अलग है। अब सवाल यह है कि मतदाता इस विरोधाभासी प्रचार को कैसे देखता है—क्या इसे गठबंधन की मजबूती मानेगा या असहमति की झलक?
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