आईयूएमएल ने CAA के कार्यान्वयन पर रोक की मांग की, और कहा कि इसे “असंवैधानिक, मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण” माना जाना चाहिए।
12 मार्च 2024 ,नई दिल्ली
सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) अधिसूचना का मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है। IUML ने CAA अधिसूचना के कार्यान्वयन पर रोक की मांग की है। साथ ही, उन्होंने कहा है कि “सीएए असंवैधानिक, मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण” है। पहले सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने यह कहते हुए रोक का विरोध किया था कि कोई तत्काल कार्यान्वयन नहीं होगा क्योंकि नियम अधिसूचित नहीं है। वहीं, डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट ऑफ इंडिया भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अपनी लंबित याचिका पर सुनवाई की मांग कर सकता है।
केंद्र सरकार ने आख़िरकार चार साल बाद CAA की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही नागरिकता संशोधन क़ानून अब देशभर में लागू हो गया है। नागरिकता संशोधन कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न से तंग होकर जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोग भारत आए हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए एक वेब पोर्टल तैयार कर लिया है। शरणार्थियों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद सरकार जांच करेगी और फिर नागरिकता दी जाएगी। इस कानून के लागू होने के बाद देश के कई हिस्सों में जश्न का माहौल तो कई जगह विरोध के भी सुर हैं। दिल्ली में पुलिस अलर्ट पर है तो असम में विपक्ष ने आज बंद बुलाया है, लेकिन असम पुलिस ने इस बंद को लेकर विपक्ष को नोटिस भेजा है।
Leave a Reply