अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: योग बना भारत की संस्कृति, शक्ति और शांति का वैश्विक प्रतीक

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग ने भारत की संस्कृति को दी नई वैश्विक पहचान — शक्ति, शांति और संतुलन का बना संदेशवाहक
21 जून 2025, नई दिल्ली
आज पूरी दुनिया 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। पिछले एक दशक में योग ने सिर्फ एक व्यायाम पद्धति से आगे बढ़कर एक वैश्विक सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले लिया है। यह भारत की प्राचीन परंपरा का वह उपहार बन चुका है जिसे पूरी दुनिया ने अपनाया और सराहा है।
इस वर्ष का केंद्रीय आयोजन विशाखापट्टनम के रामकृष्ण बीच पर हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा,
“योग आत्म-बल, मानसिक शांति और जीवन की एकता का माध्यम है। यह भारत की संस्कृति की आत्मा है जो अब दुनिया की धड़कन बन चुकी है।”
संयुक्त राष्ट्र से शुरू, विश्व मंच तक पहुंचा योग
योग दिवस की नींव 2014 में रखी गई जब प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसका प्रस्ताव रखा, जिसे 177 देशों ने समर्थन दिया। इसके बाद 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया और तब से यह दिन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का सबसे प्रभावशाली चेहरा बन गया है।
11 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा: योग दिवस के प्रमुख पड़ाव
2015 – नई दिल्ली (कर्तव्य पथ)
84 देशों के प्रतिनिधियों के साथ पीएम मोदी ने 21 योगासन किए।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड: सबसे बड़ी योग क्लास और सबसे ज्यादा देशों की भागीदारी।
2016 – चंडीगढ़
कैपिटल कॉम्प्लेक्स में 30,000 लोगों ने किया योग अभ्यास।
2017 – लखनऊ
रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल।
2018 – देहरादून
50,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ विशाल योग सत्र।
2019 – रांची
प्रभात तारा मैदान में 40,000 से ज्यादा लोगों ने किया योग।
2020–2021 – कोरोना काल में वर्चुअल योग
लोगों को घरों में योग के लिए प्रोत्साहित किया गया। पीएम मोदी ने महामारी में योग की उपयोगिता पर बल दिया।
2022 – मैसूर पैलेस, कर्नाटक
कोविड के बाद पहला भव्य फिजिकल आयोजन। 15,000 से अधिक लोगों की भागीदारी।
2023 – न्यूयॉर्क (संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय)
135 देशों के प्रतिनिधियों संग पीएम मोदी ने किया योग।
गिनीज रिकॉर्ड: वैश्विक प्रतिनिधित्व में सर्वाधिक सहभागिता।
थीम: “वसुधैव कुटुंबकम — एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य”
2024 – श्रीनगर (शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर)
24.53 करोड़ लोगों ने एक साथ योग कर बनाया अब तक का सबसे बड़ा आयोजन। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
योग: भारत की आत्मा, दुनिया का संतुलन
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इन 11 वर्षों में योग दिवस ने यह साबित किया है कि योग केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि मन, समाज और आत्मा के सामंजस्य का माध्यम है। आज, यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति, आध्यात्मिक विरासत और वैश्विक शांति का प्रतीक बन चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में यह आयोजन न केवल भारत के अंदर, बल्कि पूरे विश्व में भारत की सांस्कृतिक नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है।
कर्तव्य पथ से लेकर कश्मीर की वादियों और न्यूयॉर्क के मंच तक — योग ने भारत की संस्कृति को एक नई वैश्विक पहचान दी है। आज योग सिर्फ आसन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, शक्ति और शांति का संदेशवाहक बनकर दुनिया को जोड़ रहा है।
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