अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: सियाचिन से अटारी तक भारतीय वीरों ने रचा योग का इतिहास

By Mansi Sharma | 21/06/2025 | Categories: स्वास्थ्य
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: सियाचिन से अटारी तक भारतीय वीरों ने रचा योग का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने देश की सीमाओं से समुद्र तटों तक किया सामूहिक योगाभ्यास — प्रस्तुत किया अनुशासन, शौर्य और संतुलन का अद्वितीय संगम

21 जून 2025, नई दिल्ली

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश का हर कोना योगमय हो उठा। लेकिन सबसे प्रेरणादायक दृश्य तब सामने आया जब सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊंचाइयों से लेकर पोर्ट ब्लेयर के समुद्री तटों तक, और अरुणाचल के सुदूरवर्ती किबिथू से लेकर अटारी-वाघा बॉर्डर तक, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने योग का अनुशासन अपनाया।

यह केवल आसनों का अभ्यास नहीं था, बल्कि यह संदेश था — कि योग एक जीवनशैली है जो हर मौसम, हर मोर्चे और हर परिस्थिति में अपनाई जा सकती है।

सेना के हर मोर्चे पर योग

भारतीय सेना ने देश की सीमाओं और दुर्गम इलाकों में योग दिवस को आत्मसात किया।

  • सियाचिन की -30 डिग्री ठंडी हवाओं में सैनिकों ने तन-मन के संतुलन का अभ्यास किया।
  • अरुणाचल, कश्मीर, लेह और कच्छ की सीमाओं पर जवानों ने पहाड़ों, झीलों और बंजर भूमि में योग कर अनुशासन और आंतरिक शक्ति का परिचय दिया।
  • सेना द्वारा साझा किए गए वीडियो में बर्फ, पत्थर और सीमावर्ती इलाकों में एकाग्रता से किए गए योगाभ्यास देश के हर नागरिक को प्रेरित करने वाले हैं।

सेना ने योग को केवल फिटनेस नहीं, बल्कि “शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लचीलापन” का स्त्रोत बताया है।

CISF ने पूरे देश में किया योगोत्सव

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने जून महीने को ही योगमय बना दिया।

  • देशभर की 430 से अधिक यूनिट्स और फॉर्मेशन्स में नियमित योग सत्र आयोजित किए गए।
  • दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित मुख्यालय में विशेष सामूहिक योगाभ्यास हुआ जिसमें 100 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया।
  • इस कार्यक्रम का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (मुख्यालय) पद्माकर रणपिसे ने किया।
  • CISF ने इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” को अपनाते हुए योग को “सहनशक्ति और मानसिक संतुलन” का साधन बताया।
BSF ने सीमाओं को बनाया योग का मंच

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भी योग दिवस को भव्य रूप से मनाया।

  • अटारी-वाघा बॉर्डर और हुसैनीवाला बॉर्डर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सैकड़ों जवानों ने योग किया।
  • कार्यक्रम का नेतृत्व BSF पंजाब फ्रंटियर के IG अतुल फुलजले ने किया।
  • इस आयोजन में स्कूली छात्र, ग्रामीण नागरिक, खेल जगत की हस्तियां और पद्म पुरस्कार विजेता भी शामिल हुए।

इन आयोजनों ने यह सिद्ध कर दिया कि योग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और मानसिक अनुशासन का प्रतीक है।

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राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा एकता का मंत्र

इन कार्यक्रमों ने देश और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत का सैनिक योग के माध्यम से न केवल शारीरिक रूप से सक्षम है, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित और सजग है। हर सीमा पर फैला यह योगाभ्यास भारत की ताकत, परंपरा और वैश्विक योगदान का परिचायक है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 ने यह प्रमाणित किया कि भारत की सैन्य शक्ति केवल शस्त्रों में नहीं, बल्कि आत्मसंयम और योग की परंपरा में भी निहित है। सियाचिन की बर्फ से लेकर समुद्र की लहरों तक, सैनिकों ने नतमस्तक होकर योग को अपनाया — और देश को दिया एक संदेश: “जब देश जागता है योग से, तभी बनती है उसकी आत्मशक्ति!”

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