हॉर्मुज संकट पर भारत अलर्ट: वैकल्पिक सप्लाई से तेल आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर

By Mansi Sharma | 23/06/2025 | Categories: विदेश
हॉर्मुज संकट पर भारत अलर्ट: वैकल्पिक सप्लाई से तेल आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर

हरदीप पुरी ने कहा—हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भरता कम, वैकल्पिक स्रोतों से तेल आपूर्ति सुरक्षित

23 जून 2025, नई दिल्ली

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच Strait of Hormuz के अस्थायी रूप से बंद होने की आशंका गहराने लगी है। लेकिन भारत सरकार ने नागरिकों को भरोसा दिलाया है कि देश की ऊर्जा जरूरतों पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को स्पष्ट किया कि भारत अब पूरी तरह हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भर नहीं है और वैकल्पिक आपूर्ति चैनल तैयार कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर ईरान यह जलमार्ग बंद भी करता है, तो भी भारत के पास कई हफ्तों का तेल भंडार मौजूद है।

हॉर्मुज जलडमरूमध्य क्यों है अहम?

Strait of Hormuz दुनिया के कुल तेल और गैस परिवहन का लगभग 20% हिस्से का रास्ता है। भारत भी अपनी बड़ी ऊर्जा ज़रूरतें इसी मार्ग से पूरी करता है। हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई के बाद इस समुद्री मार्ग को लेकर अस्थिरता बढ़ गई है।

भारत की रणनीति क्या है?

मंत्री पुरी ने कहा, “हम लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है और अब हम सिर्फ एक रूट या एक क्षेत्र पर निर्भर नहीं हैं।” उन्होंने बताया कि भारतीय तेल कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है, जिससे सामान्य उपभोक्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

पुरी ने यह भी भरोसा दिलाया कि सरकार जरूरत पड़ने पर और भी ठोस कदम उठाने को तैयार है ताकि देश में ईंधन की उपलब्धता बनी रहे।

क्या बढ़ेंगी तेल की कीमतें?

तेल की कीमतों को लेकर पूछे गए सवाल पर पुरी ने कहा, “दाम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभी भी पर्याप्त तेल मौजूद है। आपूर्तिकर्ता देश भी निर्यात बनाए रखने में इच्छुक हैं, क्योंकि उन्हें राजस्व की आवश्यकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सोमवार को जब बाजार खुलेंगे, तो हो सकता है कि Strait of Hormuz की स्थिति का कुछ असर दिखे, लेकिन भारत वैश्विक अस्थिरता से निपटने को तैयार है।

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रूस से बन रही आपूर्ति की नई धुरी

पुरी ने बताया कि भारत अब रूस से भी बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में संतुलन बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं, तो केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे विकल्पों पर विचार कर सकती है।

विशेषज्ञों की राय

ऊर्जा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि तेल बाजार काफी संवेदनशील होता है। यदि हॉर्मुज जलडमरूमध्य एक हफ्ते से ज्यादा समय तक बंद रहता है, तो इससे भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। हालांकि भारत की तैयारी और रणनीति फिलहाल आश्वस्त करने वाली नजर आ रही है।

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