“भारत बनेगा मध्यस्थता का वैश्विक केंद्र”: केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का संकल्प

संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और विधि अधिकारियों ने साझा किए विचार
15 जून 2025, नई दिल्ली
भारत को वैश्विक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, “संस्थागत मध्यस्थता: विवाद समाधान के लिए एक प्रभावी ढांचा” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 14 जून 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य देश में संस्थागत मध्यस्थता को वाणिज्यिक विवादों के समाधान के प्राथमिक माध्यम के रूप में स्थापित करना और India International Arbitration Centre (IIAC) को वैश्विक स्तर की मध्यस्थ संस्था के रूप में प्रस्तुत करना था।

यह सम्मेलन क़ानून और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग द्वारा, ओएनजीसी (ONGC) और IIAC के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें देशभर के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (CPSEs) के प्रतिनिधि, कानूनी विशेषज्ञ और मध्यस्थता क्षेत्र के पेशेवर शामिल हुए।
कार्यक्रम में केंद्रीय कानून एवं न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “भारत में विवादों का समाधान सहमति से करने की परंपरा सदियों पुरानी है। अब समय है कि हम उस विरासत को आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ जोड़ें। भारत निश्चित रूप से वैश्विक मध्यस्थता केंद्र बनेगा।”

सम्मेलन की शुरुआत IIAC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (सेवानिवृत्त) के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने देश में मध्यस्थता की मौजूदा स्थिति और प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से एड-हॉक मध्यस्थता पर निर्भरता को एक बड़ी बाधा बताया। उन्होंने ICADR से IIAC में परिवर्तन को सरकार द्वारा उठाया गया दूरदर्शी कदम बताया और सार्वजनिक उपक्रमों से संरचित संस्थागत व्यवस्था अपनाने की अपील की।
विधि कार्य विभाग के निदेशक श्री अवनीत सिंह अरोड़ा ने अपने प्रस्तुतीकरण में पिछले एक दशक के दौरान मंत्रालय द्वारा किए गए कानूनी सुधारों और नीतिगत पहलों की विस्तार से जानकारी दी।
ओएनजीसी के अध्यक्ष श्री अरुण कुमार सिंह ने उद्योग जगत की ओर से बोलते हुए कहा, “हमारे कानूनी ढांचे का मूल सिद्धांत ‘समयबद्धता’ होना चाहिए, न कि कालातीतता।” उन्होंने व्यवसायिक विवादों के तेजी से समाधान के लिए संस्थागत मध्यस्थता को अनिवार्य बताया।
यह भी पढ़ें : ईरान बनाम इजरायल: जंग के मुहाने पर दो महाशक्तियां, कौन किस पर पड़ेगा भारी?
सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव श्री के. मोसेस चालै ने मध्यस्थता की प्रभावशीलता को शासन, परिचालन दक्षता और आर्थिक सेहत से सीधे जोड़ा।
अंत में, विधि कार्य विभाग की सचिव डॉ. अंजू राठी राणा ने कानून व्यवस्था में हाल के व्यापक सुधारों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने IIAC को अंतरराष्ट्रीय स्तर की मध्यस्थ संस्था के रूप में विकसित करने की सरकार की रणनीति को साझा किया और यह सुझाव दिया कि “सभी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSUs) के अनुबंधों में IIAC को प्राथमिक मध्यस्थता संस्था के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।”
इस सम्मेलन के माध्यम से भारत ने वैश्विक मध्यस्थता मानचित्र पर एक निर्णायक उपस्थिति दर्ज करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है। सरकार, उद्योग और विधि विशेषज्ञों का एकजुट दृष्टिकोण देश को संस्थागत मध्यस्थता के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर कर रहा है।
यह भी पढ़ें : एयर इंडिया हादसे पर डॉ. के.ए. पॉल ने राम मोहन नायडू के इस्तीफे की मांग की, इज़राइल-ईरान संघर्ष पर जताई गहरी चिंता
0 Comments
Leave a Comment