FATF की रिपोर्ट ने वैश्विक समन्वय और कड़े प्रवर्तन की मांग की, क्योंकि बिना पंजीकरण वाले अपतटीय क्रिप्टो प्लेयर्स नियमों से बचते हुए वित्तीय और सुरक्षा जोखिम पैदा कर रहे हैं।
नई दिल्ली: वैश्विक निगरानी निकाय FATF की हालिया समीक्षा बताती है कि वर्चुअल एसेट्स के नियमों को लागू करने में प्रगति के बावजूद ऑफशोर क्रिप्टो ऑपरेशन्स की पारदर्शिता और पहचान संबंधित महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
ट्रैवल रूल का लागू होना: थोड़ी सफलता, ज्यादा कमियां
क्रिप्टो ट्रैवल रूल के तहत वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (क्रिप्टो एक्सचेंज, कस्टोडियल सॉल्यूशंस और वित्तीय सेवा प्रदाता) को एक निश्चित सीमा से ऊपर होने वाले क्रिप्टो लेन-देन के उत्पत्ति और गंतव्य की पहचान और साझा करना अनिवार्य है। यह नियम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने 2019 में लागू किया था और इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 73 फीसदी देशों ने अब क्रिप्टो कंपनियों के लिए ट्रैवल रूल को कानूनी तौर पर लागू करने वाले कानून बना लिए हैं, लेकिन उसे अमल में लाने का काम अभी बहुत कमजोर है। उन 85 देशों में से जहां यह कानून किताबों में दर्ज है, सिर्फ 35 जगहों पर ही कोई आधिकारिक कार्रवाई हुई है। इससे नीतियां बनाने और उन्हें जमीनी हकीकत में उतारने के बीच की गहरी खाई साफ नजर आती है। FATF का कहना है कि इस नियम की असली ताकत दुनिया भर में लगातार सख्ती से ही आएगी। इसी मदद के लिए संगठन ने ‘बेस्ट प्रैक्टिसिस इन ट्रैवल रूले सूपर्विशन’ नाम की एक गाइड जारी की है, जो देशों को अपने तंत्र को चलाने में सहारा देगी।
अपतटीय कंपनियों के असर का मुकाबला करने के लिए भारत की कार्रवाई
मार्च 2023 में भारत सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत क्रिप्टो कंपनियों को रिपोर्ट देने वाली संस्था घोषित किया और विस्तृत गाइडलाइन जारी की। लेकिन कोई भी विदेशी कंपनी इस तहत पंजीकरण कराने को तैयार नहीं हुई। यह घरेलू कंपनियों के बिल्कुल उलट था, जिन्होंने पीएमएलए की गाइडलाइन के तहत फौरन एफआईयू-इंडिया से पंजीकरण करा लिया।
चूंकि विदेशी कंपनियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई, वित्त मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में सख्त कदम उठाते हुए अपतटीय एक्सचेंजों को नोटिस भेजे और अनुपालन न मानने पर आखिरकार 19 इकाइयों को ब्लॉक कर दिया। कुछ दिन पहले ही एफआईयू-इंडिया ने वैसी ही कार्रवाई की और 25 विदेशी क्रिप्टो कंपनियों को गैर-अनुपालन का नोटिस थमाया। इनमें सिंगापुर की कोइनडब्ल्यू, ब्रिटेन-पंजीकृत बीटीसीसी, हांगकांग की चेंजेली और अमेरिका की पैक्सफुल शामिल हैं। नोटिस पा रही अन्य बड़ी एक्सचेंजों में कंबोडिया की ह्यूओन ग्रुप, कुरासाओ की बीसी.गेम और सेशेल्स-पंजीकृत बिटमेक्स का नाम है। ये घटनाएँ साफ करती हैं कि विदेशी कंपनियां तभी नियम मानेंगी जब सख्त कार्रवाई हो।
अपतटीय एक्सचेंजों के खतरे
बिना पंजीकरण के अपतटीय या विदेशी प्लेयर्स का भारत में मनमाना संचालन खतरनाक मिसाल पेश कर रहा है। यह न केवल आम नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती है। ऐसे में भारत सरकार को एक ठोस योजना बनानी होगी, जो इन प्लेयर्स को या तो कानूनों का पालन करने पर मजबूर करे या भारत में उनके कारोबार को पूरी तरह बंद कर दे।
दुनिया के कई देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। भारत की तरह कुछ ब्लॉकिंग पर उतर आए हैं, तो कहीं आपराधिक कार्रवाई हो रही है। कई जगह विदेशी प्लेयर्स को स्थानीय पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। एक और तरीका है घरेलू एक्सचेंजों पर कर कम करना और विदेशी प्लेयर्स पर भारी टैक्स लगाना।
FATF की खास रिपोर्टें वैश्विक क्रिप्टो दुनिया के लिए मील का पत्थर हैं। ये प्रगति की तारीफ करती हैं और कमजोरियों की याद भी दिलाती हैं। भारत की सख्त कार्रवाइयों को वैश्विक संगठनों ने पहले भी सराहा है। लेकिन इतनी तेज तकनीकी तब्दीलियों के बीच भारत सरकार को ऐसा हल ढूंढना चाहिए जो तुरंत काम करे और फुर्तीला हो। जरूरी सख्ती के साथ दुनिया के तजुर्बों को समझकर उन्हें यहां उतारना भी चाहिए। बिना पंजीकरण वाली विदेशी क्रिप्टो कंपनियों की समस्या से निपटने का पूरा प्लान न बने तो हम अपने लोगों की दौलत को ही दांव पर लगा देंगे।