डॉ. के. ए. पॉल ने की वैश्विक शांति और प्रार्थना की हुंकार, युद्ध के व्यापार पर कड़ा प्रहार

By Mansi Sharma | 16/05/2025 | Categories: देश
डॉ. के. ए. पॉल ने की वैश्विक शांति और प्रार्थना की हुंकार, युद्ध के व्यापार पर कड़ा प्रहार

हथियार सौदों और राजनीतिक मुनाफाखोरी के खिलाफ बोले डॉ. पॉल, 24 घंटे की वैश्विक शांति और प्रार्थना पहल का किया आह्वान

16 मई 2025, नई दिल्ली


अंतरराष्ट्रीय शांति दूत डॉ. के. ए. पॉल ने नई दिल्ली में आयोजित एक भावनात्मक और दृढ़ प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैश्विक नेताओं की नीतियों पर गहरा सवाल उठाते हुए कहा कि आज की राजनीति में हथियारों की बिक्री को मानव जीवन से ऊपर रखा जा रहा है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए कतर से $400 मिलियन मूल्य का प्राइवेट जेट स्वीकार किया।

डॉ. पॉल का आरोप है कि यह रिश्वत ट्रंप को कतर के हथियार सौदों को राजनीतिक संरक्षण देने के लिए दी गई थी। उन्होंने सवाल किया, “क्या अमेरिका बिक चुका है?” उन्होंने कहा कि ट्रंप उस समय शांति की बजाय अरब देशों को हथियार बेचने में व्यस्त थे, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के कगार पर खड़े थे।

“भारत-पाक युद्ध को ट्रंप ने नहीं, भगवान और मैंने रोका,” — डॉ. पॉल

उन्होंने यह भी कहा कि कतर, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों की नीतियाँ डर और असुरक्षा पर आधारित हैं, ताकि वे गद्दाफी और सद्दाम हुसैन जैसे अंत से बच सकें।

भारत की भूमिका पर बोलते हुए डॉ. पॉल ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसे अब किसी भी वैश्विक शक्ति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अगर भारत के राजनीतिक दल एकजुट हों, तो भारत दुनिया में शांति का मार्गदर्शक बन सकता है।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध समुदायों के प्रतिनिधि मौजूद थे, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आनंद एस. जोंधले और मुस्लिम समाज के नेता अशरफी अकबर अली भी शामिल थे। यह सर्वधर्म समभाव की एक जीवंत मिसाल रही।

डॉ. पॉल ने यह भी आरोप लगाया कि इंडिगो एयरलाइंस ने उन्हें तुर्की में एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन में भाग लेने से रोक दिया, जिसे उन्होंने मानवीय कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप का खतरनाक उदाहरण बताया।

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सबसे महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए, डॉ. पॉल ने “24 घंटे की वैश्विक प्रार्थना और शांति दिवस” का आह्वान किया, जो 24 मई शाम 6 बजे से 25 मई शाम 6 बजे तक मनाया जाएगा। उन्होंने दुनियाभर के लोगों से अपील की कि वे कम से कम 5 मिनट का समय निकालकर शांति के लिए प्रार्थना करें — अपने घरों, धार्मिक स्थलों या सार्वजनिक स्थानों पर।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और भारत की शांति की परंपरा — महात्मा गांधी और सरदार पटेल के आदर्शों — को आगे बढ़ाएं।

“भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है, और वह दुनिया को शांति और नेतृत्व का मार्ग दिखा सकता है,” — डॉ. पॉल

इस सम्मेलन का समापन इस सामूहिक संदेश के साथ हुआ कि 24 मई को भारत से शांति की रोशनी पूरी दुनिया में फैले, और यह दिन “वैश्विक शांति दिवस” के रूप में मनाया जाए।

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