CJI बीआर गवई का स्पष्ट संदेश: “देश में सर्वोच्च केवल संविधान है, संसद नहीं”

By Mansi Sharma | 26/06/2025 | Categories: देश
CJI बीआर गवई का स्पष्ट संदेश: "देश में सर्वोच्च केवल संविधान है, संसद नहीं"

अमरावती में सम्मान समारोह के दौरान बोले CJI – न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मूल अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि

26 जून 2025, नई दिल्ली

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने बुधवार को अमरावती में आयोजित एक सम्मान समारोह में लोकतंत्र की मूल भावना और संविधान की सर्वोच्चता को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत में कोई संस्था सर्वोच्च नहीं है—बल्कि संविधान ही देश का सबसे बड़ा मार्गदर्शक है, और सभी संस्थाएं उसी के अधीन हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमारे लोकतंत्र के तीनों स्तंभ—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका—संविधान के अधीन कार्य करते हैं। कुछ लोगों की धारणा है कि संसद सर्वोच्च संस्था है, लेकिन मेरी दृष्टि में संविधान ही सर्वोच्च है।”

संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ नहीं संभव

CJI गवई ने स्पष्ट किया कि भले ही संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती। यह टिप्पणी उन विचारों का जवाब मानी जा रही है, जहां संसद को सर्वोच्च मानने की प्रवृत्ति सामने आती रही है।

न्यायिक स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ

न्यायिक स्वतंत्रता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार के खिलाफ फैसला देने से कोई न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हो जाता। उन्होंने कहा, “जज की भूमिका केवल फैसला सुनाने की नहीं होती, बल्कि उसे संविधान, नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षक बनना होता है।”

CJI ने यह भी जोड़ा कि न्यायाधीशों को स्वतंत्र रूप से सोचना चाहिए, और निर्णय लेने में जनमत की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। “किसी भी फैसले में यह विचार नहीं होना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे,” उन्होंने कहा।

यह भी पढ़ें : ‘पंचायत सीजन 5’ में फुलेरा छोड़ेंगे सचिव जी? रिंकी के दिल पर टूटेगा पहाड़, आने वाला है बड़ा मोड़

‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ खड़ा होना गर्व की बात

अपने कार्यकाल के एक महत्वपूर्ण निर्णय का उल्लेख करते हुए गवई ने कहा कि उन्होंने ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ फैसला सुनाया और आश्रय के अधिकार को प्राथमिकता दी। उन्होंने दोहराया कि वह हमेशा संविधान में निहित मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।

व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा की झलक

कार्यक्रम में उन्होंने अपने निजी जीवन से जुड़ी बातें भी साझा कीं। उन्होंने बताया कि उनका सपना आर्किटेक्ट बनने का था, लेकिन उनके पिता, जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, चाहते थे कि वह वकील बनें।
“मेरे पिता को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किया गया था और वह खुद वकील नहीं बन सके। उनकी इच्छा थी कि मैं इस पेशे में जाऊं, और आज मैं जो भी हूं, उन्हीं की प्रेरणा का परिणाम है,” गवई ने भावुक स्वर में कहा।

यह भी पढ़ें : भारत ने आर्थिक प्रगति, कृषि नवाचार और लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त करने की दिशा में बड़े कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज चार महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी

0 Comments

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *