ब्रिटेन में बांग्लादेशी नेता युनूस को झटका: प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मुलाकात से किया इनकार

चार दिवसीय ब्रिटिश दौरे पर पहुंचे मोहम्मद युनूस को विरोध का सामना करना पड़ा; प्रदर्शनकारियों ने उन पर मानवाधिकार हनन और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया
12 जून 2025, लंदन
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद युनूस को उनके ब्रिटेन दौरे के दौरान बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने युनूस से मुलाकात करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। ब्रिटिश सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री की उनके साथ कोई बैठक निर्धारित नहीं है। हालांकि, इस विषय पर विस्तृत टिप्पणी करने से अधिकारी बचते नजर आए।
युनूस इस समय चार दिवसीय दौरे पर ब्रिटेन में हैं। दौरे के दूसरे दिन उन्होंने लंदन स्थित अपने होटल में ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल से मुलाकात की थी। इसके पहले, बांग्लादेश की मीडिया में इस यात्रा को लेकर काफी प्रचार-प्रसार किया गया था। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि युनूस की ब्रिटिश प्रधानमंत्री से मुलाकात तय है, लेकिन स्वयं युनूस ने एक ब्रिटिश अखबार को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि कीर स्टार्मर ने उनसे मिलने पर सहमति नहीं दी है।
युनूस के लंदन पहुंचते ही हीथ्रो एयरपोर्ट और उनके होटल के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जुट गए। इन प्रदर्शनकारियों के हाथों में काले झंडे और नारों वाले बैनर थे, जिन पर लिखा था— “युनूस मुक्ति संग्राम के सेनानियों का हत्यारा है” और “गो बैक युनूस”। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने युनूस पर बांग्लादेश में कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और बांग्लादेशी हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की।
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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विरोध कर रहे लोगों में अधिकांश अवामी लीग समर्थक थे, जिनमें वे बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल थे जो युनूस की राजनीतिक भूमिका के चलते यूके में शरण लेने को मजबूर हुए। इस दौरान युनूस के काफिले पर अंडे और जूते भी फेंके गए।
अवामी लीग की यूके इकाई ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट, हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर, किंग्स फाउंडेशन और कॉमनवेल्थ सचिवालय को एक औपचारिक पत्र भी भेजा है। इस पत्र में ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया गया है कि वह युनूस प्रशासन को किसी भी तरह की आधिकारिक मान्यता न दे।
पत्र में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश इस समय आर्थिक संकट, राजनीतिक दमन और मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों से जूझ रहा है। खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की ओर इशारा करते हुए इसमें चेताया गया है कि युनूस के साथ किसी भी तरह की भागीदारी ब्रिटेन की लोकतांत्रिक और वैश्विक मान्यताओं को कमजोर कर सकती है।
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