क्या भारतीय कंपनियां सिर्फ काम देखती हैं, इंसानियत नहीं? तनाव से भरे कर्मचारी की कहानी वायरल
हाल ही में, एक भारतीय कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर अपनी दुख भरी कहानी बताई। इस कहानी ने देश के ऑफिस कल्चर और काम के भारी दबाव (Work Pressure) को लेकर एक बड़ी बहस शुरू कर दी है। कर्मचारी ने बताया कि जब उनकी दादी बहुत बीमार होकर ICU में भर्ती थीं, और उन्हें तुरंत अस्पताल भागना पड़ा, तो उनके बॉस (कंपनी के डायरेक्टर) ने उनकी सैलरी काटने की धमकी दे डाली।
क्या हुआ था उस दिन?
कर्मचारी उस दिन घर से काम (Work From Home) कर रहे थे। अचानक उन्हें अस्पताल जाना पड़ा, जिसकी वजह से वह रात 9 बजे होने वाली एक ज़रूरी मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए। जब वह अस्पताल में अपनी दादी के पास थे और पहले से ही बहुत परेशान और दुखी थे, तभी कंपनी के डायरेक्टर ने उन्हें फ़ोन किया और बहुत तेज़ी से चिल्लाना शुरू कर दिया। कर्मचारी इतनी मुश्किल में थे कि वह ठीक से जवाब भी नहीं दे पाए।
इस बात पर नाराज़ होकर, डायरेक्टर ने तुरंत एचआर (HR) को आदेश दिया कि इस कर्मचारी का एक दिन का वेतन काट लिया जाए। उनका तर्क था कि कर्मचारी ने मीटिंग छोड़ दी और बिना बताए ऑफिस से बाहर चले गए।
जानकारी देने में कहाँ हुई चूक?
कर्मचारी ने बताया कि अस्पताल जाते समय वह मैनेजमेंट को सीधे तौर पर बताना भूल गए थे, लेकिन उन्होंने अपने एक साथी (Colleague) को फ़ोन पर जानकारी दे दी थी। लेकिन, डायरेक्टर ने इस छोटी सी चूक को बड़ा मुद्दा बना दिया और उस कर्मचारी की सैलरी काटने का आदेश दे दिया, जबकि वह पहले से ही इतने बड़े भावनात्मक संकट से गुज़र रहे थे।
16.5 घंटे की शिफ्ट और कर्मचारी का करारा जवाब क्यों आया?
यह मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। सैलरी काटने की धमकी के कुछ दिन बाद, उसी कर्मचारी से कंपनी ने लगातार 16.5 घंटे तक काम करवाया। मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह थक चुके इस कर्मचारी ने हिम्मत दिखाई और मैनेजमेंट को एक कड़ा और स्पष्ट ईमेल लिखा।
ईमेल में क्या कहा गया: उन्होंने साफ़ कहा कि अगर यह 16.5 घंटे की लंबी शिफ्ट, उनके मिस हुए दिन के काम की भरपाई नहीं करती है, तो वह अब किसी भी कीमत पर अपनी तय शिफ्ट से ज़्यादा काम नहीं करेंगे। यह ईमेल सोशल मीडिया पर आते ही बहुत तेज़ी से फैल गया और लोगों ने कर्मचारी की हिम्मत की खूब तारीफ की।
एचआर की सलाह और बॉन्ड का दबाव
कर्मचारी का कड़ा मेल मिलने के बाद, एचआर ने उन्हें फ़ोन किया। एचआर ने कहा कि यह तो एक ‘छोटी सी बात’ थी और उन्हें इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए। कर्मचारी ने बताया कि वह अभी नौकरी छोड़ भी नहीं सकते क्योंकि वह कंपनी के साथ एक बॉन्ड (समझौते) से बंधे हुए हैं।
लेकिन, इस घटना से उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने तय किया कि अब वह सिर्फ उतना ही काम करेंगे जितना जरूरी है (सिर्फ अपनी ड्यूटी के समय तक), और बाकी समय अपनी नई स्किल्स सीखने और साइड बिज़नेस (Side Hustle) पर लगाएंगे, ताकि वह जल्द ही इस बुरे ऑफिस कल्चर को छोड़ सकें।
लोगों की क्या थी प्रतिक्रिया?
इस कहानी पर हज़ारों लोगों ने अपनी राय दी और कर्मचारी का पूरा साथ दिया।
- एक यूज़र ने लिखा, “शानदार जवाब! हमेशा ऐसी बातों का जवाब ईमेल में ही दें।”
- दूसरे ने सलाह दी, “पूरी तैयारी करो, और फिर नौकरी बदल दो। बॉन्ड की चिंता मत करो।”
- एक यूज़र ने सलाह दी कि अपनी शिफ्ट के अनुसार ही काम करो। अगर वे ज़्यादा काम देने लगें तो साफ़ मना कर दो। सबसे ज़्यादा क्या होगा? वे नौकरी से निकाल देंगे। इसलिए जब तक तुम तैयार हो, शांत रहो और अपना समय बचाओ।
लोगों की प्रतिक्रियाओं ने यह साबित कर दिया कि भारतीय ऑफिस कल्चर में कर्मचारियों की निजी समस्याओं को समझने की कमी है, और अब कर्मचारी चुप रहने की बजाय अपने हक़ के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।
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