हर नागरिक को असहमति व्यक्त करने और आलोचना करने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली,8 मार्च 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि हर नागरिक को अपनी आपत्ति जताने और आलोचना करने का हक है। इस फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि हर आलोचना को अपराध माना जाएगा तो लोकतंत्र का सुरक्षित रहना मुश्किल है।
इस फैसले को न्यायाधीश अभय एस ओका और उज्ज्वल भुयान की बेंच ने दिया। जिन्होंने एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज किए गए मामले को खारिज कर दिया, जिन्होंने धारा 370 की रद्दी की आलोचना की थी। प्रोफेसर पर पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं भेजने का आरोप लगा था।
महाराष्ट्र पुलिस ने प्रोफेसर जावेद अहमद हाजम पर व्हाट्सएप मैसेज के ज़रिए धारा 370 रद्द करने की आलोचना करने पर एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें उनके खिलाफ धारा 153A के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
जिसके बाद यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट चला गया था जहां कोर्ट ने एफआईआर खारिज करने से मना कर दिया था। इसके फैसले में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसे मैसेज से विभिन्न समूहों में वैर–विरोध की भावना को बढ़ावा मिल सकता है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में से एक जो हर नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की देता है के तहत हाजम के खिलाफ शिकायत को खारिज करने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है की भारत के प्रत्येक नागरिक को धारा 370 रद्द करने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति में परिवर्तन की आलोचना करने का हक है। उस दिन को ‘काला दिन’ कहना एक प्रतिवाद और दुख की अभिव्यक्ति है। यदि राज्य के क्रियाओं की हर आलोचना या प्रतिवाद को धारा 153-ए के तहत अपराध माना जाएगा, तो हमारे संवैधानिक देश में लोकतंत्र, जीवित नहीं रहेगा”।
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