मध्य प्रदेश | 10 अक्टूबर 2023
वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की राजनीतिक जद्दोजहद के बीच ये सवाल बेहद अहम है कि लाखों करोड़ों के कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार के पास क्या इन योजनाओं के लिए पैसा हैं?
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण, सस्ते एलपीजी सिलेंडर जैसी घोषणाएं की. ये घोषणाएं ऐसे वक्त पर की गई हैं, जब राज्य गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मॉनसून सत्र के दौरान संसद में रखे गए आंकड़े बताते हैं कि मार्च, 2019 से मार्च, 2023 के बीच पिछले 5 साल में मध्य प्रदेश पर लाखों करोड़ के कर्ज हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए 2019-2023 के बीच के आकंड़ों के मुताबिक, इन पांच वर्षों में मध्य प्रदेश सरकार का कर्ज 1,95,178 करोड़ (मार्च, 2019) से बढ़कर 3,78,617 करोड़ (मार्च, 2023) हो चूका है । इस चुनावी साल में लाखों करोड़ों रुपयों के कर्ज में डूबी राज्य सरकार द्वारा वोटरों को लुभाने के लिए नई योजनाएं लॉन्च करने का फैसला कई बड़े सवाल खड़े करता है. सबसे अहम सवाल ये कि क्या वित्तीय संकट से जूझ रहीं राज्य सरकार योजनाओं को लागू करने के लिए जरूरी धन जुटा पाएंगी?
यह कुछ ऐसा है जो भारत में कई राजनेता लंबे समय से करते आ रहे हैं। वे चुनाव से पहले वोट पाने के लिए वादे करते हैं। लेकिन दिक्कत ये है कि राज्य बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. उनके पास बहुत सारे विकल्प नहीं हैं. वे या तो ऋण चुकाने के लिए अधिक समय मांग सकते हैं या वे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण चीजों पर कम पैसा खर्च कर सकते हैं। राज्यों के लिए यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि उन्हें इस समस्या को ठीक करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
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