धार: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने धार शहर को एक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सौगात दी। लेकिन वहां काम करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर और अन्य स्टाफ नहीं हैं, इसलिए अस्पताल लोगों की ठीक से मदद नहीं कर पा रहा है. इस वजह से, लोगों को अपनी ज़रूरत की चिकित्सा सहायता पाने के लिए बड़े शहरों या अन्य राज्यों की यात्रा करनी पड़ती है। सरकार ने अस्पताल के लिए अधिक डॉक्टरों और कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए बहुत कुछ नहीं किया है। डॉक्टरों, नर्सों और अन्य महत्वपूर्ण कर्मचारियों के लिए बहुत सारे पद खाली हैं। इसका मतलब यह है कि मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं। जिले के लोगों की मदद के लिए अस्पताल को वास्तव में विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों की आवश्यकता है। जिले में कई स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन उनमें भी पर्याप्त संसाधन और स्टाफ नहीं है. इससे लोगों को घर के नजदीक आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
मुख्य इलाके के अस्पताल में दवा और उपकरण जैसी पर्याप्त चीजें नहीं हैं. यदि उनके पास ये चीज़ें अधिक होतीं, तो आस-पास रहने वाले लोगों को बीमार होने पर बेहतर मदद मिल सकती थी। उन्हें हर किसी की मदद के लिए अस्पताल में काम करने के लिए और अधिक लोगों की भी आवश्यकता है।
आपको बताते चले प्रथम श्रेणी से लेकर तृतीय श्रेणी तक के पद खाली जिले में प्रथम श्रेणी के डॉक्टर की बात की जाए तो 123 पद स्वीकृत है। इसमें ३९ पद भरे हुए और ८४ पद रिक्त है। द्तिीय श्रेणी के डॉक्टर व अन्य में कुल 141 पद स्वीकृत हैं, इसमें 114 पद भरें हुए व २७ पद अभी भी खाली हैं। तृतीय श्रेणी की बात की जाए तो इसमें कुल 1854 पद स्वीकृत हैं और १२४० पद भरें हुए। ६१४ पद अभी भी खाली पड़े हैं। अभी तक इन पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। अस्पताल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कई ग्रामीणों में विशेषज्ञ डॉक्टर, नर्स व कंपाउडर की बेहद आवश्यकता है, लेकिन यहां पर नियुक्ति नहीं हो रही है। गहराई से देखा जाए तो बाकी जगह का हाल भी कोई ज्यादा अच्छा नहीं है
हम अपने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बैठकें और प्रशिक्षण सत्र कर रहे हैं। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि पर्याप्त चिकित्सा उपकरण और संसाधन उपलब्ध हों। हमारे डॉक्टर और स्टाफ सदस्य मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। धार में स्वास्थ्य सेवा के प्रभारी डॉ. नरसिंह गेहलोत इन प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं।
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