रंगदारी मामले में धनंजय सिंह को सात साल की सजा, जौनपुर में सियासी समीकरण में तेज बदलाव।
07 मार्च 2024 , जौनपुर
पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को जौनपुर में नमामि गंगे क प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में सात साल की सजा सुनाई गई। इसका दूसरा परिणाम यह हुआ कि धनंजय सिंह, जो लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, उनकी सियासी पारी को बहुत नुकसान पहुँचा। धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने के सपने फिलहाल अधूरे हैं, लेकिन जेल में रहकर अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी या किसी निकट नेता को चुनावी मैदान में उतारने का दांव चल सकता है।
धनंजय सिंह के जेल जाने से जौनपुर का राजनीतिक समीकरण भी बदलता दिख रहा है, जहां बीजेपी के उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह को एक ओर और धनंजय सिंह को दूसरी ओर खड़ा कर दिया गया है। धनंजय सिंह जौनपुर की सियासत में बहुत शक्तिशाली हैं, जिसके कारण वह विधायक और सांसद बनते रहे हैं। कृपा शंकर सिंह, जो पहले मुंबई से राजनीति करते थे, अब जौनपुर सीट पर जीतने के लिए बीजेपी ने उनका प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी प्रत्याशी घोषित होने के कुछ घंटे बाद, धनंजय सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने का अपना दावा ठोक दिया और कहा कि वे जल्द ही एक नया घोषणा करेंगे। ‘जीतेगा जौनपुर जीतेंगे हम,’ धनंजय सिंह ने कहा। इसके बाद जौनपुर में राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगा।
मंगलवार को सुबह बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ जौनपुर पहुंचते हैं, लेकिन शाम होते-होते तीन साल दस महीने पहले इंजीनियर अभिनव सिंघल अपहरण मामले में बाहुबली धनंजय सिंह को दोषी ठहराया गया और उसे दूसरे दिन सात साल की सजा सुनाई गई। चुनाव की तैयारी कर रहे धनंजय सिंह को जेल में डाल दिया गया। हालाँकि, धनंजय सिंह ने मीडिया को बताया कि मुझे चुनाव से रोकने की साजिश रची गई, जब वे सजा के बाद अदालत की सीढ़ियां उतरते हुए पुलिस की वैन में बैठे। धनंजय सिंह इसके बाद से जौनपुर के चौराहों पर चर्चा का विषय बन गया है, जिससे जौनपुर का राजनीतिक समीकरण भी बदल गया है।
श्रीकला को धनंजय सिंह की सजा से सहानुभूति मिलेगी?
पूर्व सांसद धनंजय सिंह को दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी उनसे मिलने जेल पहुंचीं, तो उनका पहनावा एक सियासी नेता की तरह दिखाई दिया। श्रीकला रेड्डी दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध व्यापारिक और राजनैतिक परिवार से हैं और वे जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उनके पिता जितेंद्र रेड्डी ने तेलंगाना से विधायक का पद संभाला था। धनंजय सिंह से मुलाकात करने के बाद उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी ने उनके समर्थकों से धैर्य और संयम का आह्वान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आपके नेता को आपकी सहानुभूति चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि श्रीकला धनंजय सिंह की सजा को सहानुभूति में बदलना चाहती हैं।
धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में डाल दिया गया है, लेकिन आम लोगों का मानना है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए हर प्रयास किया गया है। जौनपुर के लोग हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक के चक्कर लगाने और उनके नतीजों के बाद धनंजय सिंह का अगला कदम क्या होगा, यह देखते हुए सपा प्रवक्ता फखरुल हसन ने एक ट्वीट किया है जो सियासी बहस को बढ़ावा देता है। राजनीति संभावनाओं का खेल है, उन्होंने कहा। धनंजय सिंह जौनपुर में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या उनकी पत्नी चुनाव लड़ेगी, लेकिन जौनपुर का चुनाव दिलचस्प होगा।
बाहुबली धनंजय सिंह का एक वीडियो, जिसमें वे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो एक शादी के कार्यक्रम का है, लेकिन लोग इसे उनके जौनपुर विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से जोड़कर देख रहे हैं। बीजेपी कैंडिडेट घोषित होने के बाद धनंजय सिंह ने निर्दलीय या सपा से ही लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। भारतीय समाजवादी पार्टी ने जौनपुर सीट से अपने प्रत्याशी को घोषित नहीं किया है।
बीजेपी को जौनपुर में कितनी राहत मिली?
सूत्रों के अनुसार धनंजय सिंह की लोकप्रियता और दबदबा, खासकर ठाकुरों में मजबूत पकड़ बताई जाती है। ऐसे में अगर निर्दलीय चुनाव लड़ते तो जौनपुर में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता था, क्योंकि सपा से बाहर निकलने से सीधा मुकाबला हो सकता था। हालाँकि, उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई है और वह जेल में हैं. अब उनकी पत्नी चुनाव लड़ने की चर्चा है। अगर सपा श्रीकला रेड्डी को प्रत्याशी बनाती है, तो बीजेपी को जौनपुर में यह सीट खोना मुश्किल होगा।
2009 में, धनंजय सिंह जौनपुर सीट से बसपा के सांसद चुने गए। जौनपुर में सपा से टिकट न मिलने की स्थिति में मामला त्रिकोणीय बनाने का दम रखते हैं, लेकिन अगर सपा अपनी पत्नी को प्रत्याशी बनाती है तो बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह के लिए राजनीतिक राह आसान नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि कृपा शंकर सिंह जौनपुर से हैं, लेकिन लंबे समय से मुंबई में रहते हैं। कृपा शंकर सिंह जौनपुर की राजनीति में धनंजय सिंह से अधिक प्रभावी हैं। धनंजय सिंह ठाकुर मतदाताओं में भी बहुत लोकप्रिय हैं।
जौनपुर सीट पर राजनीतिक समीकरण
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण में क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित समुदायों के मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। यादवों और क्षत्रियों का दबदबा जारी है। यादव और ठाकुर इस लोकसभा सीट पर बराबर संख्या में हैं। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत दलित, मुस्लिम और यादव मतदाताओं की एकजुटता ने श्याम सिंह यादव को विजयी बनाया। बीजेपी दूसरी ओर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों पर फोकस कर रहा है। ऐसे में बीजेपी को चिंता हो सकती है अगर धनंजय की पत्नी श्रीकला या उनके करीबी कोई भी चुनाव में उतरता है, तो क्षत्रिय वोटों में सेंधमारी का खतरा बढ़ जाएगा। श्रीकला अगर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ती हैं तो यादव-मुस्लिम और ठाकुर वोटों का समीकरण बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह को चिंतित कर सकता है।
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