01 december 23,
नोएडा में शहर में हुई डिजिटल अरेस्ट की पहली घटना ने एक नई चेतावनी दी है। साइबर जालसाजों ने एक आईटी इंजीनियर युवती को आठ घंटे तक डरा कर और धमका कर उसे अकेले घर में रहने पर मजबूर कर दिया। इस घटना के दौरान पीड़िता को उसके परिजनों या दोस्तों से बात करने का अधिकार नहीं था, जबकि आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उससे 11.11 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह मामला साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुआ है और पुलिस पड़ताल में इसे डिजिटल अरेस्ट करने के रूप में खुलासा किया गया है।
धवलगिरी अपार्टमेंट में रहने वाली आईटी इंजीनियर सीजा टीए को 13 नवंबर को एक अंजान नंबर से फोन आया था, जिसमें कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राइ) का कर्मचारी बताया और युवती के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदा गया है, जिसका प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है, इसका आरोप लगाते हुए उससे 11.11 लाख रुपये की ठगी की गई है। यह मामला साइबर क्राइम थाने में दर्ज किया गया है और पुलिस पड़ताल में डिजिटल अरेस्ट करने का खुलासा हुआ है।
इस मामले में, साइबर जालसाजों ने पुलिस की वर्दी पहन कर स्काइप कॉल करके युवती को डराया धमकाया था। डिजिटल अरेस्ट में एक्सपर्ट बनकर एप डाउनलोड कराने वाले जालसाज ने पुलिस की वर्चुअल जांच का नाटक किया और पीड़िता से पुलिस के अंदाज में पूछताछ की गई, जिसके बाद उसे डरा धमका कर बंधक बनाए रखा गया। इस दौरान युवती से कई तरह के सवाल पूछे गए और किसी से बात करने की अनुमति नहीं दी गई। आठ घंटे की डिजिटल अरेस्ट के बाद, आरोपियों ने खाते में 11.11 लाख रुपये ट्रांसफर करने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी तकनीक है जिसमें जालसाज मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल कर स्काइप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये किसी पर नजर रख
ते हैं और उसे डरा कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। इस तरह, आरोपी को उसके घर में एक तरह से कैद कर दिया जाता है, जिससे वह किसी से मदद नहीं मांग सकता और न किसी को अपनी कहानी बता पा सकता है। उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करता है। इस तकनीक का इस्तेमाल धरा-धर ज्यादा ऑनलाइन ठगी और अनैतिक क्रियाएं करने के लिए होता है।
पहले मामले के बाद इसी प्रकार की घटना फरीदाबाद में भी हुई थी, जिसमें जालसाजों ने एक छात्रा को एप के माध्यम से 17 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा था। छात्रा को मानव तस्करी के मामले में फंसाने का डर दिखाया गया था, और स्काइप एप से लॉगआउट नहीं होने दिया गया था।
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