कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे गंभीर रोगों के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. इंद्रजीत शर्मा ने एक नई तकनीक का खुलासा किया है, जो दवाओं को न केवल अधिक प्रभावी, बल्कि सुरक्षित और सस्ती भी बनाएगी। इस खोज से चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद जताई जा रही है।
आज नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस महत्वपूर्ण घोषणा की गई, जिसमें देश के प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
डॉ. शर्मा और उनकी टीम ने दवाओं में नाइट्रोजन तत्व को बेहतर तरीके से जोड़ने का नया तरीका विकसित किया है। नाइट्रोजन हमारे जीवन प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है और यह डीएनए, प्रोटीन और लगभग 80% आधुनिक दवाओं का मुख्य हिस्सा है। इस नई तकनीक से दवाओं की उत्पादन लागत को 100 से 200 गुना तक घटाया जा सकता है, जिसका मतलब है कि दवाएं अब मरीजों के लिए पहले से कहीं अधिक सस्ती हो सकती हैं।
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इस अवसर पर डॉ. शर्मा ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल नई दवाएं बनाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि ये दवाएं हर जरूरतमंद तक पहुंचें। हमारे तरीके से दवाओं को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, और इन्हें अन्य बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक दवा जो ब्रेस्ट कैंसर के लिए बनी है, अब इस प्रक्रिया से ब्रेन कैंसर के इलाज में भी उपयोगी हो सकती है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित विशेषज्ञों ने बताया कि यह तकनीक कैंसर और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। वर्तमान में जो दवाएं इस्तेमाल हो रही हैं, उनमें धातु-आधारित यौगिक होते हैं, जो शरीर में विषाक्तता और साइड इफेक्ट्स को बढ़ाते हैं। डॉ. शर्मा की नई विधि से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है, और टीबी जैसी बीमारियों के लिए कम साइड इफेक्ट्स वाली दवाएं भी बनाई जा सकती हैं।
इस कार्यक्रम में एम्स, नई दिल्ली के प्रो. विक्रम सैनी, सीटीयू प्राग के प्रो. रुपेंद्र शर्मा, सीसीएस विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव शर्मा और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ कविंद्र तल्यान ने भी अपने विचार साझा किए। प्रो. सैनी ने नाइट्रोजन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह शोध दवाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ उन्हें अधिक सुरक्षित और सस्ता बनाता है, जो कैंसर और टीबी जैसे रोगों के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
कविंद्र तल्यान ने इस खोज के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह एक ऐसी खोज है, जो पूरी मानवता के लिए की गई है। अगर सरकार और उद्योग मिलकर काम करें, तो यह तकनीक उन लोगों तक भी पहुंच सकती है, जो अभी तक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं।”
डॉ. शर्मा के इस शोध को प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित किया गया है। यह शोध न केवल कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में मदद करेगा, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों के लिए भी नई उम्मीद जगाएगा। पारंपरिक तरीकों के मुकाबले, यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है और धातु-आधारित यौगिकों के उपयोग से बचती है, जिससे दवाओं का उत्पादन सस्ता और सुरक्षित हो जाता है।
भारत, जहां कैंसर जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, इस खोज से काफी लाभ उठा सकता है। यह शोध देश में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत कम करने और उन्हें अधिक सुलभ बनाने में मदद करेगा, साथ ही दुनियाभर में मरीजों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
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