परीक्षा देने के लिए स्टूडेंट्स को लेना पड़ा पुलिस का सहारा
नई दिल्ली।
पानीपत के एलसीआरटी कॉलेज में अचीविया एजुकेशन पश्चिम विहार दिल्ली द्वारा रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है। कॉलेज के छात्रों से प्रैक्टिकल अंकों के लिए 6500 रुपए की मांग की जा रही है और जिन छात्रों ने पैसे नहीं दिए, उन्हें फेल करने की धमकी दी जा रही है। यह स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है और हरियाणा सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
इस भ्रष्टाचार के कारण आठ लड़कियों का भविष्य खतरे में है, जो रिश्वत देने में असमर्थ हैं और मेरिट व मेहनत में विश्वास करती हैं। जो छात्र रिश्वत दे चुके हैं, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है, जबकि ये छात्राएं सुबह 9 बजे से इंतजार कर रही हैं। यह भ्रष्टाचार और भेदभाव का एक स्पष्ट मामला है। पीड़ित स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्हें परीक्षा देने के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ा। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही वह परीक्षा दे सके। स्टूडेंट्स ने बताया कि परीक्षा के लिए अचीविया एजुकेशन, पश्चिम विहार दिल्ली का स्टॉफ उन्हीं स्टूडेंट्स को परीक्षा कराने ले गया, जिन्होंने उनकी जेबें गर्म कर दी थीं। बाकी के स्टूडेंट्स को वह यहीं छोड़ गया। बल्कि मुश्किल से स्टूडेंट्स जब परीक्षा केंद्र पर पहुंचे तो उन्हें परीक्षा देने से रोका गया। जब पुलिस को इस बारे में शिकायत की गई तो पुलिस के हस्तक्षेप के बाद उन्हें परीक्षा देने दी गई।
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छात्रों की यह शिकायत न केवल शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाती है बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता को भी उजागर करती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करना चाहिए।
पानीपत पुलिस, विशेष रूप से एसएचओ को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्रालय से भी अपील है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और सुनिश्चित करें कि छात्रों को न्याय मिले।
यह समय है जब सरकार और प्रशासन को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी छात्र को उसके हक से वंचित नहीं किया जाए। यह लड़कियां जो मेरिट और मेहनत में विश्वास करती हैं, उन्हें उनका हक मिलना चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
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