हम आधी नहीं पूरी दुनिया हैं जो भी जन्मा वह महिला की संतान है: जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्र
जगदीश्ववर निगम(आई.सी.एस.) के जीवन पर आधारित किताब की पहली प्रति लुबना आसिफ को भेंट की गई
नई दिल्ली।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योगदान एवं नाम कमाने वाली महिलाओं को पुरस्कार से नवाजा गया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा जो की सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया की पूर्व जज हैं ने महिला सशक्तिकरण में अग्रसर भारत विषय पर आयोजित सम्मान समारोह व संगोष्ठी की अध्यक्षता की। ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट की अध्यक्ष लुबना आसिफ ने सभा में आए अति विशिष्ट अतिथियों का परिचय कराया और बताया कि देश में किस-किस स्तर पर महिलाओं ने कामयाबी अर्जित की है। इस अवसर पर महामहिम जेनिश दरबारी, जो कि रिपब्लिक ऑफ़ माउंटेनेग्रो में भारत की मानद काउंसलेट जनरल, पूर्व सांसद अनीता आर्य, द्रोणाचार्य अवार्ड अवॉर्डी राष्ट्रीय कबड्डी कोच और पद्मश्री सुनील डबास, महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मंच पर मौजूद थीं।
इस मौके पर शैला दरबारी द्वारा लिखित जगदीश्वर निगम (आई.सी.एस.) के जीवन पर आधारित किताब ” द रियल स्टोरी द एडमिनिस्ट्रेटर-(जगदीश्वर निगम आई.सी.एस.) वर्सेज द ब्रिटिश राज 19 अगस्त 1942″ जगदीश्ववर निगम(आई.सी.एस.) के जीवन पर आधारित किताब की पहली प्रति लुबना आसिफ को भेंट की गई । उन्नत भारत सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने कार्यक्रम का आयोजन किया। आयोजकों में समिति के अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा, ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट की अध्यक्ष लुबना आसिफ, नीतीश पांडे, दृष्टि गुप्ता और अनामिका पाराशर ने मौजूदगी दर्ज कराई और कार्यक्रम की सफलता की तारीफ की।
समिति ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में खूबसूरत कार्यक्रम का आयोजन किया। जहां सभी क्षेत्रों की महिलाएं मौजूद थीं। महिलाओं के लिए ऐसी रूपरेखा तैयार की जिससे लगा की कंस्टीट्यूशन क्लब के सभागार में कोई उत्सव मनाया जा रहा है। समिति ने सम्मान के लिए उन महिलाओं का चयन किया जो कि अपने-अपने क्षेत्र में विशेष स्थान पाने वाली थीं और उन महिलाओं को पुरस्कार से नवाजा। पुरस्कार पानी वाली महिलाओं में श्रीमती पारुल गर्ग, डॉ. मेहरुन निसा, सुश्री कल्पना झा, दीप्ति राय, प्रियंका अनेजा, सुंदर राय, आकृति सिंह, अलका जून, पल्लबी मिश्रा, सोनिया ठाकुर, रूही भट्टी, सोनिया दत्त, रीता सिंह, मंजरी झा, हिमानी वर्मा, संगीता चानू, चारु शर्मा और विभा चिंताले शामिल रहीं।
इस मौके पर महिला वक्ताओं ने कहा कि कहने को हम आधी दुनिया हैं लेकिन पूरी दुनिया हमारी है। उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी कामयाबियां अर्जित की हैं और विभिन्न क्षेत्र में शिखर पर पहुंची है। लगातार आगे बढ़ रही हैं 33% का आरक्षण जो संसद में हुआ है उससे आशा की किरण और बड़ी है उम्मीद जगी है। महिलाओं की प्रगति इसी तरह से लगातार होती रहेगी। वह जो काम अपने हाथों में लेती हैं उसे बड़ी कुशलता से पूरा करती हैं अब तो खेल के क्षेत्र में भी नए-नए कीर्तिमान भारत की महिलाएं कर रही हैं यह हमारे लिए संतोष का विषय है।
जस्टिस मिश्रा ने कहा की समाज की सोच को बदलने के लिए हमें कोशिश करते रहना होगा, ताकि मानसिक स्तर पर बराबरी का भाव पूरे समाज में पैदा हो। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिलाओं को आगे बढ़ाने में बेहतरीन योगदान है। एक वक्ता ने कहा पहले श्रीमती इंदिरा गांधी थी हमारी प्रेरणा और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। वह महिलाओं के उत्थान के लिए तरह-तरह की योजनाएं ला रहे हैं, बना रहे हैं और इसके चलते महिलाओं का स्तर आगे बढ़ा है। यह प्रक्रिया जारी रही तो हम जल्द से जल्द बराबरी के पायदान पर खड़े हो जाएंगे।
सेमिनार में एकला चलो की मानसिकता देखने को नहीं मिली पुरुषों के योगदान को नहीं नकारा गया, बल्कि कहा गया की रेल की पटरी की तरह से महिलाएं और पुरुष दो पटरिया हैं गाड़ी अगर चलानी है तो दोनों को समानांतर एक दिशा में एक तरह से रहना होगा। ऐसा हो भी रहा है धार्मिक प्रवचन करने वाली महिलाओं और दूसरे भक्तों ने कहा कि धर्म के क्षेत्र में भी किसी से पीछे नहीं है। उनको सुनने वाले, देखने वालों की तादाद लाखों में है। यानी हर क्षेत्र में उनका वर्चस्व बढ़ रहा है यही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और देश की उपलब्धि है।
Leave a Reply